नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता । उच्च न्यायालय ने कहा है कि पारिवारिक परिस्थितियों के कारण बच्चे को शिक्षा से वंचित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि शिक्षित बच्चा राष्ट्र के लिए एक संपत्ति बन जाता है। न्यायालय ने कहा कि माता-पिता के जेल में होने की वजह से किसी भी नाबालिग को शिक्षा के मोर्चे पर नुकसान नहीं होना चाहिए।
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने एक महिला की हत्या के मामले में आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है। उन्होंने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान नाबालिग के स्कूल में दाखिले के मसले पर स्वतः संज्ञान लिया है, क्योंकि उसके माता-पिता न्यायिक हिरासत के तहत जेल में है।
उच्च न्यायालय ने संबंधित थाना प्रभारी को नाबालिग लड़की को उस स्कूल में दाखिला कराने का आदेश दिया है जिसमें उसका बड़ा भाई-बहन पढ़ रहा है।
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