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राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में पुरुष वर्ग पर महिलाओं की तैनाती होने से पद भरे और बालिका विद्यालयों में शिक्षिकाओं की कमी

राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में  पुरुष वर्ग पर महिलाओं की तैनाती होने से पद भरे और बालिका विद्यालयों में शिक्षिकाओं की कमी 


● सिफारिश के जोर पर शिक्षिकाओं का हुआ तबादला


● जीआईसी में पुरुष वर्ग पर महिलाओं की तैनाती होने से पद भरा

प्रयागराज। कई जिलों के राजकीय बालक विद्यालयों में शिक्षकों से अधिक शिक्षिकाओं की संख्या हो गई है। शहर में जिला मुख्यालय वाले बालक विद्यालयों में शिक्षिकाएं सिफारिश की बदौलत तैनात हो जा रही हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्र के बालिका विद्यालयों में शिक्षिकाओं के पद खाली होने के बावजूद शहर से अधिक दूरी होने के कारण कोई जाना नहीं चाहता।



लखनऊ के राजकीय जुबली इंटर कॉलेज में प्रवक्ता के 34 स्वीकृत पदों में से पांच पुरुष और नौ महिलाएं कार्यरत हैं। गाजियाबाद जीआईसी में चार पुरुष और 10 महिला प्रवक्ता, जबकि जीआईसी नोएडा में चार पुरुष और 14 महिला प्रवक्ता हैं। राजकीय इंटर कॉलेज झांसी में 13 सहायक अध्यापक पुरुष और 16 महिला हैं। जीआईसी प्रयागराज में 32 पुरुष व 29 महिला सहायक अध्यापक हैं। इसका नुकसान यह हो रहा है कि पुरुष वर्ग के पद कम होते जा रहे हैं। राजकीय इंटर कॉलेज में पुरुष वर्ग पर महिलाओं की तैनाती होने से पद भरा रहता है और यही सूचना विभाग को भेज दी जाती है। जबकि बालिका विद्यालयों में पद रिक्त बने रहते हैं। इससे पुरुष-महिला शिक्षकों का अनुपात बिगड़ रहा है।


स्कूलों में पद सृजन के बाद से तैनाती नहीं

एक ओर जिला मुख्यालय के बालक विद्यालयों में शिक्षिकाओं की धड़ल्ले से तैनाती की जा रही है, जबकि दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के बालिका विद्यालयों में शिक्षिकाओं की कमी बनी हुई है। प्रयागराज के ही 11 बालिका विद्यालयों में शिक्षिकाओं के 25 पद खाली हैं। इनमें से जीजीआईसी धनुपुर में विज्ञान, गणित व खेल और नारीबारी में गणित व कला के पद जब से सृजित हुए तब से शिक्षिकाओं की तैनाती नहीं हो सकी है। जीजीआईसी फूलपुर में 18 में से छह, शंकरगढ़ में 12 में से छह व हंडिया में दस में से पांच पद खाली हैं।


फिर बालक-बालिका का कैडर अलग क्यों

माध्यमिक शिक्षा विभाग का कहना है कि प्रदेश के सभी शिक्षा संस्थानों में 2009 में सह शिक्षा का प्रावधान लागू किया गया था। इसलिए बालक विद्यालयों में शिक्षिकाओं की तैनाती हो रही है। वहीं शिक्षक संगठनों का तर्क है कि राजकीय विद्यालयों में बालक और बालिका का कैडर अलग-अलग है। इनकी नियुक्ति से लेकर वरिष्ठता निर्धारण और प्रमोशन तक सब अलग होता है। महिला और पुरुष के सेवा संबंधी सभी कार्यों का विभाजन भी शिक्षा निदेशालय में अलग-अलग है। बालक विद्यालयों में शिक्षिकाओं और बालिका में शिक्षकों का तबादला करने का प्रावधान नहीं है। लेकिन प्रदेशभर में शहर के मध्य बालक विद्यालयों में खाली पदों पर सोर्स-सिफारिश वाली शिक्षिकाओं का तबादला धड़ल्ले से हो रहा है।


ग्रामीणांचल के सभी बालिका विद्यालयों में प्रवक्ताओं और सहायक अध्यापिकाओं के रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्ति की जाए, जिससे वहां पढ़ने वाली बालिकाओं को सभी विषयों की शिक्षा प्राप्त हो सके। साथ ही राजकीय विद्यालयों में शिक्षिकाओं को उनके संवर्गीय बालिका विद्यालयों में रिक्त पदों पर समायोजित/स्थानांतरित किया जाए। -रामेश्वर पांडेय, प्रदेश महामंत्री, राजकीय शिक्षक संघ पांडेय गुट




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