■ एक महीने में दो दर्जन शिक्षक निलंबित, सेवा सुरक्षा का पता नहीं
■ पहले निलंबन पर चयन बोर्ड से करते थे अपील, चयन बोर्ड की नियमावली समाप्त होने से पैदा हुआ संकट
■ नवगठित आयोग में शिक्षकों की सेवा सुरक्षा का कोई प्रावधान नहीं
केस 1
इंदिरा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज जाम्हा मऊआइमा की सहायक अध्यापिका कृष्णा कुमारी को प्रबंध समिति ने 14 अक्तूबर को निलंबित कर दिया। उन पर कर्तव्यों की उपेक्षा, प्रधानाचार्य से दुर्व्यवहार आदि के आरोप हैं।
केस 2
हरदोई के श्री देव दरबार इंटर कॉलेज में प्रभारी प्रधानाचार्य रमाशंकर पाठक को 15 अक्तूबर को निलंबित कर दिया गया जबकि बीएन इंटर कॉलेज हरदोई के सहायक अध्यापक जगन्नाथ प्रसाद की सेवा समाप्त कर दी गई।
प्रयागराज । ये तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं। पिछले एक महीने के अंदर पूरे प्रदेश में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के तकरीबन दो दर्जन शिक्षकों को निलंबित किया गया यही नहीं सैकड़ों शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया गया है। चिता की बात है कि इनकी कोई सुनवाई नहीं है।
पहले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में शिक्षकों कार्रवाई के खिलाफ अपील का एक फोरम था लेकिन उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन दिया गया है। पीड़ित शिक्षकों की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षकों या उप शिक्षा निदेशकों से अपील की जा रही है।
सेवा सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री से की अपील
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश त्रिपाठी ने 18 अक्तूबर को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिक्षकों की सेवा सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
उन्होंने लिखा है कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2023 सम्बन्धित विधेयक 11 अगस्त, 2023 विधान मंडल के दोनों सदनों से पारित होने के बाद अधिनियम बन गया है। इसके बाद से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 स्वतः निरसित हो गया है।
चयन बोर्ड अधिनियम के निरसित होने के कारण माध्यमिक शिक्षकों की पदोन्नति सम्बन्धी धारा 12 एवं 18 तथा सेवा शर्तों सम्बन्धी धारा 21 स्वतः समाप्त हो गयी है। शिक्षकों की सेवा शर्तों को आयोग की अधिकारिता सीमा से बाहर रखा गया है। इसके कारण शिक्षक अर्हता पूरी होने के बाद भी पदोन्नति से वंचित हो रहे हैं।
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