संत कबीर नगर की साक्षी को नवोदय विद्यालय में प्रवेश देने का दिया आदेश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आयु का निर्धारण जन्म प्रमाण पत्र से होता है न कि मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर। मेडिकल रिपोर्ट में निर्धारित आयु के आधार पर स्कूल में प्रवेश देने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने संत कबीर नगर की छात्रा साक्षी की विशेष अपील स्वीकार करते हुए की। कोर्ट ने याची को दो हफ्ते में नवोदय विद्यालय में कक्षा आठ में प्रवेश देने का आदेश दिया है।
याची साक्षी ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय जगदीशपुर गौरा संत कबीर नगर में कक्षा छह में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। आयु प्रमाण पत्र के तौर पर उसने जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और टीकाकरण रिकॉर्ड दाखिल किया। इसमें उसकी जन्मतिथि 25 जनवरी 2011 दर्ज है। प्रवेश परीक्षा में वह सफल हुई।
इसके बाद प्रधानाचार्य को शक हुआ कि साक्षी की उम्र निर्धारित सीमा से ज्यादा है। इसके लिए उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी के जरिये आयु निर्धारण की जांच कराई। जांच रिपोर्ट में उसकी आयु 15 वर्ष निकली, जो निर्धारित सीमा से ज्यादा थी। इस आधार पर प्रधानाचार्य ने उसे प्रवेश देने से इन्कार कर दिया। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट की एकल पीठ में याचिका दाखिल की, जो खरीज कर दी गई।
इसके बाद याची ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की, जिसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए कहा कि चिकित्सा मूल्यांकन केवल एक अनुमान था। अपीलार्थी की आयु का निर्णायक प्रमाण नहीं था। एकल पीठ ने याची की याचिका को उसके जन्म दस्तावेजों की वैधता पर विचार किए बिना खारिज कर दिया।
0 टिप्पणियाँ