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मदरसा शिक्षकों की मांग – भाषा विवि से संबद्ध हों कामिल, फाजिल स्तर के मदरसे, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने मदद का दिया भरोसा

मदरसा शिक्षकों की मांग – भाषा विवि से संबद्ध हों कामिल, फाजिल स्तर के मदरसेअल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने मदद का दिया भरोसा


लखनऊ। ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के प्रांतीय सम्मेलन में बुधवार को कामिल और फाजिल स्तर के मदरसों की संबद्धता ख्वाजा मुईनुददीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय से कराने की मांग उठी। वहीं, मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का छह साल का बकाया मानदेय का भुगतान न होने और नौ साल से नए मदरसों को मान्यता न देने का मुद्दा भी उठाया गया।


सम्मेलन में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर को 30 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया। मंत्री ने मदरसों से संबंधित हर समस्या का समाधान कराने का आश्वासन दिया। वहीं, विधान परिषद की प्रश्न एवं संदर्भ समिति के सभापति राज बहादुर सिंह चंदेल ने शिक्षकों और मदरसों की समस्याओं को सदन में उठाने का वादा किया। 


गोमतीनगर में आयोजित एसोसिएशन सम्मेलन में के महामंत्री वहीदुल्लाह खान सईदी ने कहा कि कामिल व फाजिल स्तर के मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालन व परीक्षाओं के आयोजन के लिए विवि से संबद्धता पर कार्यवाही सरकार को करना है। उन्होंने कामिल व फाजिल स्तर के मदरसों को ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती भाषा विवि से संबद्ध कराने की मांग की।


इस मौके पर सभी बोडों के अवकाश नियमों पर आधारित पुस्तक अवकाश नियम संग्रह का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में एसोसिएशन के संरक्षक व समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक सभा के अध्यक्ष मौलाना इकबाल कादरी और मौलाना तारिक शम्सी मौजूद रहे।


वन नेशन वन एजुकेशन कानून से मिलेगी राहत

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि वन् नेशन वन एजुकेशन के कानून बनने से मदरसों से संबंधित बीमारी दूर हो सकती है। उन्होंने कहा कि वे 13 दिसंबर को अधिकारियों के साथ बैठक में 30 सूत्री मांगपत्र पर चर्चा करेंगे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में मदरसा बोर्ड का गठन, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का गठन और सुन्नी व शिया वक्फ बोर्डों में सीईओ की नियुक्ति जल्द कराने का आश्वासन दिया। 

उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के विधायकों की सदन में सच बोलने की हिम्मत नहीं है, सभी पार्टी के गुलाम है। हम जंगल के शेर हैं, इसलिए खुलकर दहाड़ते हैं।

मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा कि मदरसों के सर्वे पर करोड़ों रुपये खर्च हुए लेकिन हासिल कुछ नहीं हुआ। सिर्फ ये पता चला कि यूपी में 8,449 मदरसे हैं, जिसमें साढ़े सात लाख बच्चे पढ़ते हैं।



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