मान्यता की पत्रावली यूपी बोर्ड को न भेजने पर फंसे कई DIOS, यूपी बोर्ड सचिव ने मांगा कार्यवाही संबंधी प्रस्ताव
• वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के 12 जिलों में रोकी गईं 74 पत्रावलियां
प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) से मान्यता लेने के लिए प्रबंधतंत्र की ओर से किए गए आनलाइन आवेदन के क्रम में कई पत्रावलियां जिला स्तर पर रोक लिए जाने को यूपी बोर्ड सचिव ने गंभीरता से लिया है। बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने परीक्षण कराया तो वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय के 12 जनपदों से कुल 74 पत्रावलियां क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत नहीं की गईं। इसे माध्यमिक शिक्षा परिषद की नियमावली का उल्लंघन माना गया। ऐसे में संबंधित जनपदों के जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआइओएस) के विरुद्ध कार्यवाही किए जाने का प्रस्ताव बोर्ड सचिव ने क्षेत्रीय अपर सचिव से मांगा है। संबंधित डीआइओएस के विरुद्ध कार्यवाही के लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा।
मान्यता लेकर विद्यालय संचालित करने के लिए यूपी बोर्ड सचिव ने आनलाइन आवेदन लिए थे। इस क्रम में प्राप्त आवेदनों का परीक्षण करने के बाद अपनी रिपोर्ट के साथ जिला विद्यालय निरीक्षकों को पत्रावली क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजी जानी थी। इस क्रम में क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ, बरेली, गोरखपुर, प्रयागराज और वाराणसी की ओर से प्रस्तुत की गईं सभी 327 पत्रावलियों का यूपी बोर्ड मुख्यालय में हुई बैठक में मान्यता समिति ने मानकों पर परीक्षण किया। इसमें कुल 103 पत्रावलियों को स्वीकृत कर 224 पत्रावलियों को अस्वीकृत कर दिया गया।
मान्यता का प्रकरण शासन स्तर पर उठने के बाद बोर्ड सचिव ने परीक्षण कराया तो पता चला कि अयोध्या से 28, आजमगढ़ से 20, गाजीपुर से 13, जौनपुर से तीन, अमेठी व मीरजापुर से दो-दो तथा आंबेडकरनगर, बलिया, मऊ, चंदौली, भदोही और सोनभद्र जिले से एक-एक पत्रावली संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी को प्रस्तुत नहीं की गई। इस स्थिति पर बोर्ड ने संबंधित डीआइओएस एवं क्षेत्रीय कार्यालय की कार्यशैली को असंतोषजनक माना।
बोर्ड सचिव ने क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी के अपर सचिव को भेजे पत्र में लिखा है कि संबंधित डीआइओएस ने परिषद के विनियम का पालन नहीं किया, साथ ही क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा सतत् पर्यवेक्षण एवं प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित नहीं की गई। ऐसे में संबंधित अधिकारियों की उदासीनतापूर्ण एवं गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली के दृष्टिगत उनके विरुद्ध कार्यवाही के लिए साक्ष्य सहित प्रस्ताव यूपी बोर्ड मुख्यालय को उपलब्ध कराएं, जिससे उनके विरुद्ध कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा शासन को भेजी जा सके।
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