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नियमित NPS अंशदान में घोर लापरवाही पर वित्त नियंत्रक (बेसिक शिक्षा) ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण, देखें कोर्ट ऑर्डर और आदेश

नियमित NPS अंशदान में घोर लापरवाही पर वित्त नियंत्रक (बेसिक शिक्षा) ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी से मांगा स्पष्टीकरण, देखें कोर्ट ऑर्डर और आदेश 

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार के निर्देशों की अनदेखी पर इस कृत्य को बताया सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही का प्रतीक 

पर्याप्त बजट के बावजूद जमा नहीं हुआ अंशदान  


रायबरेली । हाईकोर्ट के आदेश और पर्याप्त धनराशि आवंटन के बावजूद रायबरेली में न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) अंशदान जमा करने में हो रही लापरवाही ने सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के वित्त नियंत्रक राकेश सिंह ने इस मामले में वित्त एवं लेखाधिकारी, रायबरेली से स्पष्टीकरण मांगते हुए इसे सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही का प्रतीक बताया है।  


कंपोजिट स्कूल बेलाखारा, विकास क्षेत्र राही के सहायक अध्यापक श्री राहुल बाजपेयी ने 21 नवंबर 2024 को लिखित शिकायत में बताया कि उनके वेतन से हर महीने एनपीएस अंशदान काटा जा रहा है, लेकिन अगस्त 2024 से अब तक यह उनके एनपीएस खाते में जमा नहीं किया गया है। यही नहीं, सरकारी अंशदान भी लगातार लंबित है, जिससे उनके वित्तीय अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।  


रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यालय ने जून और अक्टूबर 2024 में क्रमशः ₹36.60 करोड़ और ₹19.16 करोड़ की धनराशि, कुल ₹55.76 करोड़, रायबरेली को आवंटित की थी। इतनी बड़ी राशि होने के बावजूद एनपीएस खाते में अंशदान जमा न करना विभागीय कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही और असंवेदनशीलता को दर्शाता है।  


वित्त नियंत्रक ने रायबरेली के वित्त एवं लेखाधिकारी को निर्देश दिया है कि तत्काल लंबित अंशदान को अद्यतन कराते हुए यह स्पष्ट करें कि पर्याप्त बजट होने के बाद भी नियोक्ता अंशदान नियमित रूप से क्यों नहीं जमा किया गया। इसके साथ ही मुख्यालय ने इसे शासकीय कार्यों में ढिलाई का गंभीर मामला मानते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।  



इस घटना से रायबरेली के बेसिक शिक्षा के कर्मचारियों और शिक्षकों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि यदि एनपीएस जैसे महत्वपूर्ण वित्तीय दायित्वों में ही विभाग इतनी लापरवाही बरतेगा, तो कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित कैसे होगा?  


वित्तीय मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना उच्च अधिकारियों की कार्यशैली और सरकारी आदेशों के अनुपालन में ढिलाई का नतीजा है। यदि समय पर अंशदान जमा नहीं किया गया, तो न केवल कर्मचारियों के रिटायरमेंट फंड पर असर पड़ेगा, बल्कि यह सरकार की साख पर भी बट्टा लगाएगा।  


हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद एनपीएस अंशदान में हो रही इस घोर लापरवाही ने सरकारी तंत्र की जवाबदेही और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल वित्तीय लापरवाही नहीं, बल्कि कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ का उदाहरण है। ऐसे में सरकार और प्रशासन को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।  





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